
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में पुराने और ऐतिहासिक कुओं के जीर्णोद्धार के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना और पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना है।
अभियान की मुख्य बातें:
- सत्यापन और सफाई: प्रदेशभर में पुराने कुओं की पहचान कर उनका व्यापक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद, बरसात से पहले इन कुओं की सफाई और रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा।
- सरकारी योजनाओं का लाभ: कुएं धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। समय के साथ जलापूर्ति की व्यवस्था बदलने से इनका उपयोग घटा है, लेकिन अब इन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (SARA): इस योजना के तहत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए कार्य किए जा रहे हैं। जल संरक्षण अभियान 2024 के तहत 6350 सूखे जल स्रोतों की पहचान की गई है, जिनमें से 929 महत्वपूर्ण स्रोतों का उपचार किया गया है।
- प्रधानमंत्री का आग्रह: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य स्थापना दिवस पर अपने भाषण में राज्यवासियों से नौलों और धारों को संरक्षित करने का आग्रह किया था।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए, जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जीवित करना हमारी प्राथमिकता है।