नंदा राजजात यात्रा लोक उत्सव के रूप में मनाई जाएगी – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 में एक भव्य लोक उत्सव के रूप में आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस यात्रा को ऐतिहासिक स्वरूप देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

यात्रा की मुख्य विशेषताएँ और प्रशासनिक तैयारी

  • यात्रा की अवधि और मार्ग: यह यात्रा भाद्रपद माह की नंदाष्टमी से आरंभ होकर लगभग 20 दिनों में 280 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यात्रा का मार्ग नौटी से कासुवा होते हुए होमकुंड तक जाता है।
  • स्थानीय सहभागिता: मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि यात्रा में स्थानीय लोगों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जाए और सरकार सहायक की भूमिका में रहे।
  • संरक्षण और प्रचार: नंदा देवी राजजात यात्रा से संबंधित अभिलेखों को गढ़वाल और कुमाऊं विश्वविद्यालयों के सहयोग से संरक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही, भारतीय दूतावासों के माध्यम से इस यात्रा का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
  • संस्कृति और परंपरा का संरक्षण: यात्रा के दौरान उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा और वाद्य यंत्रों की छाप स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए। संस्कृति विभाग को इसके लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
  • यात्रा मार्ग की सुविधाएँ: यात्रा मार्ग में बेहतर भीड़ प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर प्रतिबंध, वैकल्पिक मार्गों का चिन्हीकरण, पार्किंग, पेयजल, शौचालय, इको टेंट कॉलोनी, गाड़-गधेरों का सौंदर्यीकरण, विद्युत आपूर्ति और नेटवर्क की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
  • स्थायी संरचनाओं का निर्माण: यात्रा मार्ग में अस्थायी और स्थायी कार्यों को चिन्हित करते हुए स्थायी संरचनाओं की एक माह के भीतर शासकीय स्वीकृति प्रदान कर कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
  • आपदा प्रबंधन: आपदा विभाग को भू-स्खलन वाले क्षेत्रों के चिन्हीकरण के साथ ही आवश्यकतानुसार मार्ग में पर्याप्त मात्रा में जेसीबी, पोकलैंड और ऑपरेटर तैनात रखने के निर्देश दिए गए हैं।

कुमाऊं मंडल की तैयारी

अल्मोड़ा में आयोजित बैठक में कुमाऊं मंडल से संबंधित तैयारियों पर चर्चा की गई। कुमाऊं के हर जिले से सैकड़ों देवी-देवताओं की डोली, छंतोली, ध्वज और निशान यात्रा में शामिल होंगे। सभी सहायक मार्गों पर मूल सुविधाएँ जैसे मंदिरों का सौंदर्यीकरण, पेयजल, बिजली, पैदल मार्ग और पुल आदि की व्यवस्था की जाएगी।

इस प्रकार, नंदा देवी राजजात यात्रा 2026 न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनेगी, बल्कि यह राज्य की समृद्ध परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं का भी प्रतीक होगी।

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