
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन दिवसीय कत्यूर महोत्सव का वर्चुअल शुभारंभ कर इस आयोजन को उत्तराखंड की सांस्कृतिक चेतना से जोड़ते हुए ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
महोत्सव की मुख्य बातें:
✅ घोषणाएं और विकास कार्य
- गरुड़ नगरीय पेयजल योजना को स्वीकृति।
- इंटर कॉलेज गागरीगोल में विज्ञान वर्ग की मान्यता।
- चक्रवर्तेश्वर मंदिर में घाट, सभाकक्ष और सौंदर्यीकरण।
- के.डी. पांडेय रामलीला मैदान में टिनशेड निर्माण।
- कत्यूर महोत्सव हेतु ₹2 लाख की धनराशि स्वीकृत।
🌄 इतिहास और संस्कृति का गौरव
- बैजनाथ को 7वीं सदी में कत्यूर राजवंश की राजधानी बताया गया।
- प्राचीन बैजनाथ मंदिर को कत्यूरी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण बताया गया।
- मुख्यमंत्री ने महोत्सव को “लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने वाला आयोजन” कहा।
📈 राज्य विकास की प्रमुख योजनाएं
- ‘एक जनपद, दो उत्पाद’, हाउस ऑफ हिमालयाज, मिलेट मिशन, नई पर्यटन नीति, होमस्टे स्कीम जैसे कार्यक्रमों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल।
- हेलीकॉप्टर सेवा और प्रस्तावित रेल लाइन से बागेश्वर और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन और निवेश की संभावनाएं मजबूत होंगी।
🛤️ भविष्य की योजनाएं
- ‘केदारखंड से मानसखंड’ तक धार्मिक पर्यटन सर्किट विकसित करने की योजना।
- ग्वालदम, बैजनाथ, बागेश्वर, मुनस्यारी, धारचूला होते हुए पूर्णागिरि तक तीर्थ सर्किट।
🗣️ प्रमुख वक्ताओं की बातें
- केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा: क्षेत्र की विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी सबकी।
- विधायक पार्वती दास और अन्य वक्ता: महोत्सवों को संस्कृति के संवर्धन में महत्वपूर्ण बताया।
- जिलाधिकारी आशीष भटगांई: ऐसे आयोजन युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का अवसर हैं।
कत्यूर महोत्सव उत्तराखंड की गौरवशाली सांस्कृतिक पहचान को सहेजने और बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत पहल है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाएं और सरकार की योजनाएं क्षेत्रीय विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यटन को नया आयाम देने के लिए निर्णायक साबित हो सकती हैं।