Char Dham Yatra 2025 : पहली बार🚩चारधाम यात्रा प्लास्टिक फ्री होगी

Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा 2025 सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि अब एक पर्यावरण-अनुकूल मिशन भी बनने जा रही है। राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस साल की यात्रा को “प्लास्टिक फ्री यात्रा” के रूप में दर्ज करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए तीन स्तरीय रणनीति बनाई गई है, जिससे लाखों श्रद्धालु न सिर्फ पुण्य कमा सकें, बल्कि प्रकृति की रक्षा में भी भागीदार बन सकें।

🧭 क्यों जरूरी है प्लास्टिक मुक्त यात्रा?

हर साल चारधाम यात्रा में देश-विदेश से करीब 50 लाख श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। ये श्रद्धालु अपने साथ प्लास्टिक की बोतलें, बैग्स और अन्य कचरा लेकर आते हैं, जो राज्य के पर्यावरण और स्थानीय जल स्रोतों के लिए बड़ा खतरा बनता है। यही कारण है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बार यात्रा को प्लास्टिक फ्री बनाने की ठोस योजना पर काम शुरू कर दिया है।

1️⃣ रणनीति-1: जागरूकता अभियान से शुरुआत

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहली रणनीति जागरूकता फैलाने की है। प्रदेश में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को जगह-जगह बोर्ड, पोस्टर और वीडियो संदेशों के जरिए प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले नुकसान और कानूनी सजा के बारे में बताया जाएगा। टैक्सी चालकों और लोकल गाइड्स को गाड़ियों में कचरा बैग रखने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।

 2️⃣ रणनीति-2: प्लास्टिक के विकल्प की व्यवस्था

बोर्ड की दूसरी रणनीति है श्रद्धालुओं को प्लास्टिक के पर्यावरण-सुलभ विकल्प देना। इसके तहत यात्रा रूट पर क्लॉथ बैग वेंडिंग मशीन लगाई जाएंगी, जहां यात्री कम कीमत में थैले खरीद सकते हैं। साथ ही प्लास्टिक बोतलों के लिए “डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम” लागू किया जा रहा है। इसमें यात्री इस्तेमाल की गई बोतलें मशीन में डालकर कुछ पैसे वापस पा सकेंगे।

3️⃣ रणनीति-3: उल्लंघन पर सख्त जुर्माना

अगर जागरूकता और सुविधा के बावजूद कोई यात्री प्लास्टिक का प्रयोग करता है, तो उस पर ₹500 से लेकर ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बोर्ड ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को इस पर कड़ी निगरानी रखने का आदेश दिया है।

🌱 बोर्ड का लक्ष्य: हर यात्रा बने एक उदाहरण

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने कहा कि “हमारी कोशिश है कि इस बार की यात्रा एक मिसाल बने, जिसमें आस्था के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी प्राथमिकता हो।”

🙌 तीर्थ + पर्यावरण = एक संतुलित भविष्य

चारधाम यात्रा न केवल आत्मिक संतुष्टि देती है, बल्कि ये भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। ऐसे में अगर हम इस यात्रा को प्रदूषण मुक्त बना सकें, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार होगा। 2025 की चारधाम यात्रा सिर्फ तीर्थाटन नहीं, बल्कि “प्रकृति के प्रति श्रद्धा” का अद्भुत उदाहरण बन सकती है।

Related Articles

Back to top button