jagadeeshila yatra uttarakhand : मां जगदीशिला डोली यात्रा का 7 मई से आगाज होगा। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रसाद नैथानी जिसकी तैयारियों में जुटे हैं, ने बताया कि पिछले 25 वर्षों से मां जगदीशिला डोली यात्रा का आयोजन करते आ रहे हैं। इस साल यात्रा 7 मई से धर्मनगरी हरिद्वार से शुरू होगी और 30 दिन के बाद 5 जून को विशौन पर्वत टिहरी पहुंचेगी।
यात्रा के उद्देश्य
डोली यात्रा का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति और खुशहाली कायम करने का संदेश, देव संस्कृति की रक्षा हेतु लोगों को जागरूक करना, देवभूमि के विभिन्न शक्तिपीठों और मंदिरों को चार धामों की तर्ज पर स्थापित करना, संस्कृत भाषा के समर्थन के लिए संस्कृत विद्यालय खुलवाने के लिए कार्य करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए आवाज बुलंद करते हुए पूरे प्रदेश का भ्रमण किया जाएगा।
यात्रा के उद्देश्य
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रसाद नैथानी ने बताया कि यह यात्रा देश में शांति कायम करने, देव संस्कृति की रक्षा करने, हजार ज्ञान केंद्रों, हजार संस्कृत विद्यालयों को खोले जाने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि प्रदेश में पलायन रुके और बंजारा खेतों को आबाद किया जा सके। इन्हीं संकल्पों के साथ यात्रा की इस बार शुरुआत की जा रही है।
नए कॉन्सेप्ट
उन्होंने कहा कि इस बार यात्रा का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय अंचलों से हिमालय दिखता है, इसलिए वहां पर भी हिमालय आरती का केंद्र बनाया जाना जरूरी है, ताकि हिमालय सब की सुरक्षा कर सके। इसी नए कॉन्सेप्ट को इस यात्रा के माध्यम से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि विश्वनाथ जगदीशिला डोली रथ यात्रा 2025 में आठ बिंदुओं पर फोकस किया गया है।
श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा
चारधाम यात्रा आयोजक और भाजपा के युवा नेता हिमांशु चमोली ने कहा कि चारधाम यात्रा से पहले 27 अप्रैल को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सीएम आवास से हरी झंडी दिखाकर दल को रवाना करेंगे। जिसके बाद दल रात्रि में गुप्तकाशी में विश्राम करेगा और 28 अप्रैल से बाबा केदारनाथ की डोली प्रस्थान के दौरान ऊखीमठ और विभिन्न पड़ावों में श्रद्धालुओं के लिए विशेष भंडारा लगाएगा। केदारनाथ के कपाट 2 मई को खुलेंगे और इस विशेष दिन तकरीबन 60 से 70 हजार श्रद्धालुओं के विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी।
मां जगदीशिला डोली यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है जो शांति, संस्कृति की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को फैलाता है। यात्रा के दौरान विभिन्न शक्तिपीठों और मंदिरों का दौरा किया जाएगा और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आयोजन किए जाएंगे।